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द गर्ल इन रूम 105

अध्याय 33

सफ़दर ने अवाक नज़रों से रघु और फैज़ की ओर देखा । रघु अपनी कहानी को बीच में रोककर पानी पी रहा था और सौरभ और मैं उसके फिर से बोलने का इंतज़ार कर रहे थे। वह एक सांस में पूरी बोतल पी गया और फिर

बोला, 'मैं जानता हूं कि अभी आप सब लोग बहुत इमोशनल हैं। लेकिन अगर आप लॉजिकली सोचें और मेरी जगह खुद को रखकर देखें तो आप पाएंगे कि मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं रह गया था।" सभी स्तब्ध थे और रघु की ओर देख रहे थे। रघु ने बोलना जारी रखा, 'ये रहे मेरे ऑप्शंसा पहला ऑप्शन, कि मैं एक बेवकूफ़ हूं, जो एक नाजायज़ बच्चे को पालूंगा। दूसरा ऑप्शन, मैं उसके साथ ब्रेकअप कर लूं और उससे अलग हो जाने के दर्द को सहूं, जबकि वो अपने आशिक और मेरी आधी कंपनी लेकर चली जाए। दोनों ही तरीकों

से मेरी ही ऐसी की तैसी होती।'

फ़ैज़ ने अपना गला खंखारा, जैसे कि अब वो कुछ कहना चाहता हो, लेकिन रघु बोलता ही रहा, ऐसे में मेरे पास केवल तीसरा ऑप्शन रह गया था और वो था जारा को ख़त्म कर देना। अगर मैं यह काम अच्छे से करता, तो मैं कभी पकड़ा जाने वाला नहीं था। हां, मैं ज़ारा को खो देता, लेकिन उसको तो मैं पहले ही खो चुका था। जारा को अपनी सजा मिल जाती। फ़ैज़ को भी तकलीफ होती। मुझे अपनी कंपनी वापस मिल जाती। और अगर प्लान ठीक से काम करता तो ये चूतिया केशव मौका-ए-वारदात पर पाया जाता, और ये इतना कंफ्यूजन क्रिएट कर देता कि मेरा काम आसान हो जाता। हेल, इसने तो फ़ैज़ को तकरीबन जेल ही भिजवा दिया था। स्वीट

जस्टिस मेरा प्लान तकरीबन कामयाब हो चुका था, लेकिन....

"लेकिन मैंने तुम्हें पकड़ लिया, ' मैंने कहा 'बीती रात जब मैं दिल्ली में उतरा तो राणा ने मुझे बताया कि

उनके पास हैदराबाद एयरपोर्ट से सीनीटीवी फुटेज पहुंच चुके हैं। इसके बाद तो बस उस शख्स को खोजना थोड़ी ही देर का काम था, जिसके हाथ में पलस्तर बंधा था, जो बैकपैक लेकर चल रहा था, और जिसकी शक्ल तुम्हारे

जैसी थी।' 'वेलडन, यह तो मैं पहले ही बोल चुका हूं। मैंने तो तुम्हारे लिए ताली भी बजाई। अब इससे ज्यादा तुमको

और क्या चाहिए? नोबेल प्राइज़?" रघु ने कहा, उसकी आवाज से खीझ झलक रही थी।

'वो प्रेग्रेट नहीं थी," फ़ैज़ ने सधी हुई आवाज में कहा।

सभी फ़ैज़ की ओर मुड़ गए।

"क्या?" रघु ने कहा। "नहीं, उसे शक जरूर था, लेकिन वह सच साबित नहीं हुआ। वह प्रेमेंट नहीं थी, और वह तुमसे इसलिए शादी नहीं कर रही थी कि तुम मेरे बच्चे को पाल-पोसकर बड़ा करो।'

फ़ैज़ ने अपना चेहरा हथेलियों में छुपा लिया और फूट-फूटकर रोने लगा। 'आप लोगों को पता है, हम दोनों क्यों एक-दूसरे के करीब आ गए थे?" फेज ने रोते हुए कहा। फिर उसने अपना फ़ोन निकाला और हमें ज़ारा और सिकंदर की सेल्फी दिखाई, जिसमें सिकंदर मशीन गन लिए खड़ा था। "यह तो वही तस्वीर है, जो हमें जारा के पाकिस्तान वाले फ़ोन में मिली थी.' सौरभ ने फुसफुसाते हुए

मुझसे कहा।

'जारा यह तस्वीर लेकर मेरे पास आई थी, फैज़ ने कहा। "क्यों?" सफ़दर ने कहा।

'वो तमाम कोशिशें कर चुकी थी कि सिकंदर बदल जाए और अपनी टेररिस्ट हरकते छोड़ दे। लेकिन वो उसकी सुनने को तैयार नहीं था। जारा ने मुझे बताया था कि उसे पता चला है सिकंदर ने पुरानी दिल्ली के एक होटल के रूम में बंदूकें जमा कर रखी हैं और वो दिल्ली पर एक आतंकी हमला करना चाहता है।'

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